मौसम
कभी सफ़ेद कभी हलके रंगों में, सिमट के आती है वो! गर्मी के मौसम को भी, ख़ूबसूरत बनाती है वो!! हर सुबह बालों को बाँध कर, जब घर से बाहर जाती है वो, ठंढी चाँदनी सी रास्तों में फैलाती है वो, गर्मी के मौसम को भी ख़ूबसूरत बनाती है वो! तपती धूप में मुझे देख कर, जब धीरे धीरे मुस्कुराती है वो, राग मल्हार की याद दिलाती है वो, गर्मी के मौसम को भी ख़ूबसूरत बनाती है वो! कभी सफ़ेद कभी हलके रंगों में, सिमट के आती है वो! मेरे हर मौसम को, ख़ूबसूरत बनाती है वो!!