मुहब्बत
हर मौसम में हम जिया करते है! मुहब्बत के जाम दिन में भी पिया करते है ! आग को लगा कर गले , बारिश की तमन्ना किया करते है ! शाम को खुशबू जिस्म की , साँसों में लिया करते है ! रौशनी को अँधेरे में छुपा के , धीरे - धीरे चांदनी किया करते है ! नज़रो से बातें करके , चुपचाप जिया करते है। शायद ... हर मौसम में हम युही मुहब्बत किया करते है ! Listen to the poem on SoundCloud