I learnt a very beautiful yet ordinary thing about writing this month - take a break from it to detox your creative juices. I wrote very little this month. The last couplet I wrote while waiting for my bank appointment. COVID-19 has changed the world. I hope we emerge better than before and imbibe the lessons to improve our lifestyle.
Date
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Content
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05/01/2020
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कुछ ऐसे मेहफ़ूज़ रखा है आपकी यादों को
आप होते तो आपको भी नाज़ होता
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05/03/2020
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जो दिखायी नहीं देते
बस वैसे घाव दे के गया है वो
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05/03/2020
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पश्मिने सी स्याही
मिश्री से अल्फ़ाज़
रोम-रोम करता है
तेरा आग़ाज़
तू कभी उतरे
किसी नज़्म में ऐसे
लोग देखे तुझे एक टूक
और हूँ मैं नाराज़
इश्क़ नहीं मैंने
गुशताखी की है
...to be completed
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05/03/2020
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फर्श पे गिरी हुई चीनी भी
मिल बाँट के खाती हैं
ज़मीन में रहने वाली
चींटियों के भी उसूल होते हैं
Farsh pe giri hui chini bhi
Mil baant ke khaati hain
Zameen mein rehne wali
Cheentiyon ke bhi usool hote hain
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05/04/2020
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मई में सर्द हवा सी
दस्तक देती है
यादें अक्सर पत्थर दिल को भी
पिघला देती है
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05/04/2020
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कही तो आग लगी होगी
तभी तो मौसम धुआँ सा है
या इस शहर में मेरी तरह
बहुतों का दिल जला सा है
Kahin to aag lagi hogi
Tabhi to mausam dhua sa hai
Ya iss shehar mein meri tarah
Bahuton ka dil jala sa hai
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05/06/2020
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जरूरतें बाज़ारू होती हैं
इन्हें इश्क़ का नाम मत दीजिये
Zaroorate bazaaru hoti hain
Inhe ishq ka naam mat dijiye
आशिक़ नहीं खरीददार था
बेशर्मो की तरह मेरे इश्क़ का मोल-भाव किया
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05/12/2020
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फ़र्क सिर्फ इतना सा था
हमें वादें निभाने में मज़ा आता था और उसे तोड़ने में
Fark sirf itna sa tha
Humein vaade nibhane mein maza aata tha aur use todne mein
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05/12/2020
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हवाएँ भी परेशान हैं
गुलाब के मौसम में तुम रजनीगंधा सी महकती हो
Hawaayein bhi pareshan hain
Gulaab ke mausam mein tum rajnigandha si mehakti ho
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05/21/2020
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Kundi tu la mahiya
Phone te jo likhi si
O gal sach karke
Dakha mahiya
कुण्डी तू ला माहिया
फ़ोन ते जो लिखी सी
ओ गल सच कर के
दखा माहिया
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05/29/2020
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Kaam kaaj chhod ke
Mere saath 2 ghante baitho zara
Bas tum mujhe apna
Shukravaar samajh lo
काम काज छोड़ के
मेरे साथ 2 घंटे बैठो ज़रा
बस तुम मुझे अपना
शुक्रवार समझ लो
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