A late post. I forgot to publish it.
2021 is here. We are still in lockdown. And now, I am getting bored of it. I was the normalcy back. How about you? Are you waiting for things to get back to normal or enjoying it?
This is what I wrote in January:
Date | Published |
01/3/2021 | हर पल मेरा ख्याल रखता है ये दोस्ती नहीं साहब, प्यार लगता है |
01/09/2021 | तू दूर से देखे और आँखों-आँखों में इज़हार हो ये फेसबुक, इंस्टाग्राम वाली दुनिया में 90 के दशक वाला प्यार हो |
01/16/2021 | मुझे वो लोग ज़्यादा भाते हैं जो बोलते कम है और कर के ज़्यादा दिखाते है |
01/17/2021 | दोस्त लेने-देने का हिसाब रखने लगे है यूँ समझ लो दोस्ती के मायने घटने लगे है |
01/18/2021 | बहुत मासूम होते है वो लोग जो अपनी गलती को इश्क़ का नाम देते है |
01/22/2021 | साला नौटंकी सा लगता है इश्क़ आज-कल लोग तसवीरें यादों के लिए कम फ़ेस्बुक के लिए ज़्यादा लेते है |
01/23/2021 | Bas uss mukaam tak pahuchna Ki maa tumhari fikr kam, zikr zyada kare |
01/24/2021 | Subah ki chai sa ishq hai hamara Tujhe ek baar hothon se lagaye na toh din shuru nahi hota |
01/25/2021 | Don't fuck with people who smiled back when life screwed them over. |
01/28/2021 | तनख्वाह से आते हो महीने में 1-2 बार कभी खर्चे सा दिन में 4-5 बार चेहरा दिखाया करो फ़क़ीर बने बैठे है इतना मत तरसाया करो |
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