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Rewind - July 2022

This is what I wrote in July + 35000 words. Damn, there is still no end in sight. Wish me luck, though. Date Published 07/02/2022 Aap haunsla rakhiye Manzil pe pahunchte hi Aapko apna safar Sabse zyada khoobsurat lagega Janaab udd toh sabhi sakte hai Bas pankh phailane ka junoon hona chahiye Maa ne kaha dhoop hai Maine maan liya Ab uske jitni thaandi chhanv Nahi di hai na aaj tak kisi ne 07/04/2022 जिसने मुझे मेरे बुरे वक़्त में सहलाया  वही मेरे दिल को भाया 07/07/2022 जो बेवज़ह ख़ुश हो  बस वो बंदा कमाल है ना घरवालों से कोई अपेक्षा ना दुनिया से उसे कोई सवाल है 07/11/2022 अब ले जितने इम्तिहान लेने है ज़िन्दगी पास फ़ैल का डर नौसिखियों को लगता है Ab le jitne imtihaan lene hai zindagi Pass-fail ka darr nausikhiyon ko lagta hai 07/22/2022 ऐसे दोस्त किस काम के जो साले मजाक ना उड़ाए और जिस दिन तुम्हारी ज़िन्दगी का सत्यानाश हुआ हो दो पेग दारु न पिलाये

यूँ दो चार घंटे के लिए नहीं

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फ़ुर्सत में मिलना मुझसे यूँ दो चार घंटे के लिए नहीं  सिर्फ़ हाल चाल नहीं पूछना बातें करनी है तुमसे कई देखना है तुम्हें एक टक शिकवे करने है तुमसे कई हज़ार जब नाराज़ हुए थे तुम मुझसे और जब छेड़ा था मुझे बीच बाज़ार चवन्नी-अठन्नी सा ढोंग मत करना मान लेना मेरे हर कहे को सुबकियाँ से काम मत चलाना बेहने देना ग़र आँसू बेहे तो  सख़्त होने का दिखावा छोड़ आना नुक्कड़ वाले बनिये की दुकान पे सिद्दत से एक बार बोल देना  कि गलती होती है इंसान से तुम मुझे छोड़ गए उसका तुम्हें कभी अफ़सोस हुआ है क्या मैं नहीं तुमसे पूछूँगी  कि मेरे बाद मेरी तरह किसी को छुआ है क्या  ना मैं इस युग की मीरा हूँ  ना हो तुम मेरे घनश्याम बस इश्क़ है तुमसे बेपन्नह मुझे बाक़ी सब कुछ है मुझमें आम  तुम भी सोचते होगे ना  यह तीली सा इश्क़, ज्वालामुखी कब हुआ यूँ समझ लो तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे ख़याल ने दिन में 100 बार मुझे छुआ अब गणित में तो तुम अव्वल हो हिसाब लगा ही लोगे पर सोच के आना जनाब  पिछले 15 सालों का हिसाब कैसे दोगे  तो आना बस फ़ुरसत में  यूँ दो चार घंटे के लिए नहीं...

Rewind - June 2022

June was productive in terms of content creation. I am reciting my poetry in reels. I am feeling good about it. I wrote the following in June. Date Published 06/05/2022 मुझे आज़माना अपने बुरे वक़्त में मेरे दोस्त  मैं मौसम की तरह वफ़ा नहीं बदलती इतनी कड़वाहट बातों में कहाँ से लाती हो घमंडी दोस्तों ने बनाया है या खुद चने के झाड़ पर चढ़ जाती हो अंग्रेजी पियो या देशी  शराब दुःख बहार लाती है, कम नहीं करती 06/07/2022 फ़िक्र मुझे इस बात की है  कि मैं डूब गई तो तुम्हारा सहारा कौन बनेगा  06/14/2022 ऐ दिल थोड़ा खुद पे रहम थोड़ा खुद पे ए'तिबार कर जितना औरों से किया उम्र बार एक बार खुद से उतना प्यार कर 06/23/2022 आप रहने दीजिये ये इश्क़ आपके बस की बात नहीं मुझे उम्र भर का चाहिए हफ्ते, दो हफ़्तों का साथ नहीं Aap rehne dijiye Ye ishq aapke bas ki baat nahi Mujhe umar bhar ka chahiye Hafte, do hafte ka saath nahi 06/29/2022 लगता है अपनों को समझाने की कोशिश  उसने आज भी काफी की  उसकी आवाज़ में सुकून कम  सिलवटें बहुत ज़्यादा थी Lagta hai apno ko samjhane ki koshish Usne...