Rewind - September 2022

After a break of many months, I have started writing and posting regularly. And it feels good. I wrote a Hindi poem this week. You can read it here. I wrote the following in September:

Date

Published

09/06/2022

इश्क़ तो शायद किया भी हो

भरोसा किया हुए ज़माना हो गया

09/07/2022

उम्र के साथ दिखना चाहे कम हो जाए

पर लोगों के दिखावे साफ़-साफ़ नज़र आने लगते है

09/13/2022

वक्त की ठोकरों ने बस ये समझाया

कौन जग में अपना और कौन पराया


परेशान होते है लोग आज कल इस बात पे 

कि दूसरे इतने खुश क्यूँ है

09/20/2022

रूह से रूह मिलने की बात करता था वो 

पर एक मुश्किल आते ही उसने काँधा झटक लिया

09//25/2022

तुझसे दूर जाने की कोशिश जितनी मर्ज़ी कर लूँ 

पर ज़िन्दगी तेरे बिना आगे बढ़ती ही नहीं 



Tujhse door jaane ki koshish jitni marzi kar lun

Par zindagi tere bina aage badhti hi nahin



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