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Showing posts from December, 2022

Rewind - December 2022

  2022 is finally done and dusted. It was a year which has shaped me into a different person. I hope this journey continues into 2023. I wrote very less in December. I was travelling and was very busy till December 29th. Date Published 12/13/2022 सबसे बड़ा घाटा ये है कि  जो इंसान आपको दो पैसे की इज़्ज़त नहीं देता उसपे आप ज़िन्दगी के घंटों बर्बाद करते हो 12/18/2022 शिद्दत और इश्क़ से मिलना होता तो कब के मिल जाते अब तुझे पाने की उम्मीद मैंने क़िस्मत पे छोड़ दी है 12/20/2022 जो लोग हालात के आगे नहीं झुकते उन्हें दुनिया क्या झुकाएगी Wish you all a very happy new year! Saru

Rewind - November 2022

  Oh, the last month of 2022. What a year it was! I finally finished my book. Looking forward to next year! I wrote the following in November.   Date Published 11/03/2022 दर्द की सिर्फ इतनी सी परिभाषा  ना दिल में सुकून, ना चैन, ना कोई आशा 11/10/2022 अक्सर बड़े शहरों में लोग वजूद ढूढ़ने आते है  पर खुद को कब खो बैठते है उन्हें पता भी नहीं चलता Aksar bade shehron mein log wajood dhoondne aate hai Par khud ko kab kho baithate hai unhe pata bhi nahi chalta 11/15/2022 अकेलापन से डर नहीं लगता डर लगता है उस तन्हाई से जिसमें तुम्हारी यादें दबे पाँव आ जाती है  Akelepan se darr nahi lagta Darr lagta hai us tanhai se jisme tumhari yaadein dabe paon aa jaati hain 11/28/2022 कोई अपना ही रहा होगा  इतना दुःख देने की हैसियत किसी पराये की नहीं हो सकती Koi apna hi raha hoga Itna dukh dene ki haisiyat kisi paraye ki nahi ho sakti ​​किसी और से बात कर लूँ तो गज़ भर शक़ करता है वो बात अलग है हरामी मुझे अपना प्यार कहने से डरता है Kisi aur se baat kar lun Toh gaz-bhar shaq karta hai Woh baat alag hai haraami M