मुझे तुम्हारी सादगी पसंद आई
तुम किसी बड़े शहर की बड़ी इमारत
और मैं नुक्कड़ वाली पान की दुकान
तुम्हें महँगी चीज़े पसंद हैं
और मेरे पास है चवन्नी-अठन्नी का सामान
फिर भी तुम मुझे देखते हो
कुछ तो बात होगी मुझमें
और भी कई आशिक़ है मेरे
ज़्यादा इतराना मत ख़ुद पे
बस ये दिल साला बीड़ी सा सुलगता है
जो तुझे एक बार देख लूँ
समझ नहीं आता अपने छोटे बजट में
क्या तोहफ़ा तुम्हें भेज दूँ
इश्क़ बहुतो को ले डूबा हैं
अब मैं कैसे किनारा करूँ
तुझसे जो नैन लगाये हैं
दिल कहता है ये कांड मैं दोबारा करूँ
उँगलियों पे गिनती हूँ मैं घंटे
फ़ोन पे लगाती हूँ अलार्म
हाय, मैं रही मॉडर्न डे मीरा
तुम किसन कन्हैया घनश्याम
आओ कभी हमारी गली
दिन, तारीख़, मौसम मत देखना
सरप्राइज सा देना मुझे
आने की खबर भी ना भेजना
तुम जैसे अमीर से
मुझ जैसे गरीब ने दिल लगाया है
जितना तुम्हारा दिन का खर्चा है
उतना मेरा पाँच महीने का किराया है
पर इश्क़ पैसा नहीं देखता
ना देखता है औक़ात
मुझे तुम्हारी सादगी पसंद आई
काश तुम्हें भी पसंद हो मेरी कोई बात
❤️
ReplyDeleteBahot umda👏
ReplyDeleteWah..HNY
ReplyDeleteLines 🔥🔥❤️❤️
ReplyDeleteLovely
ReplyDeleteAdbhut ❤
ReplyDelete