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Showing posts from June, 2023

F**k Love

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  I've watched you fall in love with another woman. I hugged you when you wallowed for your first girlfriend. I helped you select the perfect shirt for your first date. And I've endured the gut-wrenching pain of you choosing one woman after another while I've always been the one you come back to - not as a lover but as a friend. Then you have the audacity to call me your fallback plan. Fallback plan? Wh**e, f**k buddy or one-night stand command more respect in comparison. At least I'd be your first choice. Not a backup plan to a backup plan. So f**k you. I don't know who I am angry at now - you or me? You have always taken me for granted. And I felt privileged even for that. You felt the right to wake up at 3 am after your girlfriend treated you like sh*t. And I felt obliged to comfort you. You had the guts to nitpick fault in every man who asked me out. And I felt you were protecting me. You selfish bast**d. You kept me as an option all this while. And look at me s

कहने की हिम्मत कहाँ से लाऊँ

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कुछ तो होगा तेरे मेरे बीच यूँही बिना मिले दिलों के तार नहीं छिड़ते पतझड़ में भी वक़्त से पहले पत्ते शाखों से नहीं बिछड़ते तुम कहोगे अकेलापन वजह है मैं कहूँगी शायद कुछ और बस मान लो एक बात कि तुम सुकून से लगते हो बाकी सब लगता है मुझे शोर तुम्हें उम्र भर इश्क़ नहीं मिला तुम्हें यह गिला है फ़र्ज़ निभाते-निभाते ज़िंदगी यूँही कट गई हम दोनों का यही सिलसिला हैं मुझे रत्ती भर इश्क़ तो मिला पर उससे बड़ा धोखा सारी ज़िंदगी इसी उम्मीद में रही मेरी क़िस्मत में भी कोई तुमसा होगा बस तकदीरों का खेल कह लो यह ज़िंदगी मुझे रास नहीं आई तुम कही हो तो सही पर तेरे-मेरे बीच मीलों लंबी जुदाई शायद कभी फ़र्क़ पड़ना बंद हो जाएगा तब तक के लिये गुज़ार लेते है तुम व्हाट्सएप पे मेसेज भेजते रहना यूँही तुम्हारी बातों पे हम खुश हो लेते हैं वैसे इससे ज़्यादा की उम्मीद करती हूँ पर कह नहीं पाऊँगी तुम्हारे साथ वक़्त गुज़ारना चाहती हूँ पर हिम्मत कहाँ से लाऊँगी *I am striving to make amends for the fact that I failed to compose even a single couplet throughout the month of May.